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12 वर्षो बाद हरियाणा के सरकारी कॉलेजो के प्रोफेसर आधिकारिक तौर पर बने ग्रुप ए अधिकारी हुड्डा सरकार द्वारा अक्टूबर, 2010 में दिया गया था आधा अधूरा क्लास वन अधिकारी का दर्जा दो वर्ष पूर्व जुलाई, 2020 में एडवोकेट ने प्रदेश सरकार को लिखकर उठाया था मामला नॉन-एच.सी.एस. कोटे से आईएएस में चयन हेतु फाइनल सूची में दो कॉलेज प्रोफेसरों का नाम शामिल

चंडीगढ़ – हरियाणा के राजकीय (सरकारी )  कॉलेजो में कार्यरत (वरिष्ठ) लेक्चरर, जिन्हें वर्षो पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर का पदनाम दिया गया था  एवं जिन्हे अक्टूबर, 2010 में तत्कालीन भूपेन्द्र   हुड्डा सरकार द्वारा आधा-अधूरा   क्लास वन  अधिकारी का दर्जा प्रदान  दिया गया था, वास्तव में उन्हें अब  आधिकारिक तौर पर प्रदेश सरकार का  ग्रुप ए (क्लास वन) अधिकारी बनाने सम्बन्धी दो ताज़ा नोटिफिकेशन्स शुक्रवार  2 सितम्बर 2022 को प्रदेश के  उच्चतर  शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव विजेंद्र कुमार द्वारा  जारी की गयी हैं.

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने इस विषय पर  बताया कि उपरोक्त दोनों नोटिफिकेशन्स द्वारा वर्ष 1986 के  हरियाणा शिक्षा (कॉलेज कैडर) के ग्रुप ए और ग्रुप बी सेवा नियमों में संशोधन कर उसे  12 वर्ष की पूर्व की तारीख अर्थात 7 अक्टूबर 2010 से लागू किया गया है जिस पर  हालांकि  सवाल रहा है   हैं क्योंकि सामान्यतः: कोई भी सरकारी नोटिफिकेशन उसे  जारी करने की तारीख से ही लागू होती है, वर्षो पूर्व की तिथि से नहीं. हालांकि देश की संसद और राज्यों की विधानसभाओं के पास यह संवैधानिक अधिकार हैं कि वह कोई भी नए कानून या मौजूदा कानून में किसी संशोधन को पिछली तारीख से सदन द्वारा पारित करवाकर  लागू कर सकती है अर्थात  इस सम्बन्ध में विधायिका के पास तो शक्ति होती है परन्तु कार्यपालिका अर्थात प्रदेश सरकार की अफसरशाही द्वारा  सेवा-नियम में संशोधन को पिछली तारीख से लागू करने पर  सवाल उठना स्वाभाविक है.

ज्ञात रहे कि  अगस्त, 2010 में  तत्कालीन  हुड्डा सरकार द्वारा प्रदेश के  राजकीय कॉलेजों के वरिष्ठ कॉलेज लेक्चररो को एचईएस -1 अर्थात हरियाणा एजुकेशन सर्विस क्लास वन का दर्जा देने का निर्णय  लिया  गया जिसके सम्बन्ध में  7 अक्टूबर 2010 को उच्चतर  शिक्षा विभाग की  तत्कालीन   प्रशासनिक सचिव सुरीना राजन द्वारा एक  नोटिफिकेशन भी जारी की गयी थी जिसमे यह उल्लेख था  कि  उक्त  कॉलेज  लेक्चररो को   एचईएस -1 का दर्जा तो  मिलेगा परन्तु साथ साथ उसमें  स्पष्ट किया गया वह इसका कोई  लाभ/सुविधाएं या  उच्च वेतनमान आदि  क्लेम नहीं करेंगे. अत:  एचईएस-1 का दर्जा होने  के बावजूद ग्रुप बी कॉलेज प्रोफेसर क्लास-1 /ग्रुप ए अधिकारी के तौर पर लाभ नहीं उठा सकते थे.

इसी आधार पर  हेमंत ने    दो वर्ष पूर्व  जुलाई, 2020  में   उच्चतर  शिक्षा विभाग के तत्कालीन  प्रधान सचिव और  तत्कालीन महानिदेशक को लिखकर   विभाग द्वारा प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में कार्यरत  100 के ऊपर   असिस्टेंट/एसोसिएट  प्रोफेसरों के नाम  नॉन-एचसीएस कोटे  से आईएएस  की 5 रिक्तियों के लिए उस वर्ष  राज्य सरकार द्वारा आरम्भ  की गयी चयन  प्रक्रिया में  शॉर्टलिस्टिंग हेतू हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी)  द्वारा आयोजित  लिखित परीक्षा में शामिल होने  के लिए  भेजने पर  आपत्ति उठाई थी   क्योंकि  वो तब  आधिकारिक तौर पर  राज्य सरकार के ग्रुप ए अधिकारी  नहीं थे  और उक्त चयन प्रक्रिया में केवल न्यूनतम 8 वर्ष नियमित सेवा वाले राज्य सरकार के ग्रुप ए अधिकारी ही  योग्य होते है. उक्त प्रक्रिया के समय सरकारी कॉलेजों में कार्यरत वरिष्ठ असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर ग्रुप बी अधिकारी थे क्योंकि उन पर हरियाणा शिक्षा (कॉलेज कैडर)  ग्रुप बी सेवा नियम, 1986 लागू होते थे न की ग्रुप ए सेवा नियम.

बहरहाल,  4 सितम्बर  2020  को  हेमंत को  उच्चतर शिक्षा  विभाग ने  एक पत्र भेजकर माना  कि   सरकारी कॉलेजों के  प्रोफेसरों  के   सेवा नियमों में आवश्यक  संशोधन नहीं किया गया है हालांकि साथ ही लिखा गया  इस सम्बन्ध में  मिसल (फाइल ) सम्बंधित सेवा नियमों में संशोधन हेतू मुख्यमंत्री महोदय को प्रस्तुत कर दी गयी है. यही जवाब विभाग  एक  आरटीआई के जवाब में अक्टूबर, 2020 में भी दिया गया.

अब प्रश्न यह भी उठता है  जब न केवल जून-जुलाई, 2020  में आवेदन करते समय  और 9 अगस्त 2020 को एचपीएससी द्वारा आयोजित  लिखित परीक्षा में उक्त  सरकारी  कॉलेजों के  प्रोफेसर ग्रुप ए अधिकारी न होने के कारण योग्य ही नहीं थे, तो उनके नाम उच्चतर शिक्षा  विभाग  द्वारा एचपीएससी को कैसे और क्यों भेजे गए ? यहीं  नहीं एचपीएससी द्वारा उन्हें परीक्षा में बैठने हेतू उपयुक्त कैसा पाया गया और उनमें से कुछ का नाम   शॉर्टलिस्ट  कर राज्य सरकार और फिर मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग/यूपीएससी  को कैसे भेजा गया ?

दिसंबर, 2021  में यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग)  चेयरमैन की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा जिन  5  उम्मीदवारों का इंटरव्यू के बाद   फाइनल सेलेक्ट कर   नॉन- एचसीएस  से आईएएस में चयन हेतु  केंद्र सरकार से सिफारिश भेज रखी  है   उनमें से 2 हरियाणा के उच्चतर शिक्षा विभाग के अंतर्गत सरकारी  कॉलेज में कार्यरत  प्रोफेसर  हैं डॉ. विवेक भारती और डॉ. जैन्द्र सिंह  छिल्लर  जो हालांकि पूरी चयन प्रक्रिया के दौरान  आधिकारिक रूप से हरियाणा सरकार के ग्रुप ए अधिकारी ही नहीं थे. उनके अलावा तीन और सफल उम्मीदवारों में उद्द्योग एवं वाणिज्य विभाग से अश्वनी कुमार गुप्ता और    पशुपालन और डेयरी  विभाग से डॉ. हरीश कुमार  वशिष्ठ और डॉ. ब्रह्मजीत सिंह रंगी  का नाम शामिल है जो हालांकि आरम्भ से ही क्लास वन (ग्रुप ए) अधिकारी हैं.

उपरोक्त  साक्षात्कार हेतु   योग्य पाए गए कुल 27  उम्मीदवारों में  उपरोक्त पांच के अलावा   पशुपालन और डेयरी  विभाग से  डॉ. धर्मेद्र  सिंह यादव,  डॉ. लाल चंद रंगा, डॉ. संदीप, डॉ. संजय कुमार, डॉ. सुशील कुमार और डॉ. वीरेंद्र सेहरावत, स्वास्थ्य विभाग से  डॉ. चांदनी मलिक, डॉ. मुक्ता कुमार और डॉ. रविंद्र  अहलावत,  तकनीकी शिक्षा विभाग से   कुलदीप सिंह जामवाल, आबकारी एवं कराधान विभाग से   राजीव कुमार, नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग से   विजेंद्र  सिंह और वेद प्रकाश एवं  उच्चतर शिक्षा विभाग से आदर्श सिंह पंजेटा, अजय कुमार मान, ममता गोयल, प्रदीप कुमार, रोहतास गोदारा, संदीप मान , रीना, मनीषा ओर हरी ओम शामिल थे.

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S.K. Vyas