सेना देश के लिए हैें एक ढाल और दुशमन के लिए तलवार–1971 की जीत को हिंदुस्तान के इतिहास में माना जाता है सबसे बड़ी जीत–विजय ज्योति अम्बाला होते हुए देश के सबसे उंचे युद्ध स्थल सियाचीन तक जायेगी–16 दिसम्बर को स्वर्णिम विजय मशाल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेशनल वार मैमोरियल दिल्ली में किया था प्रज्वलित:-खडग़ा कौर कमांडर एस.एस. महल।
-भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की विजय के 50 साल होने के उपलक्ष्य में स्वर्णिम विजय दिवस समारोह आयोजित किया गया अम्बाला छावनी के खडग़ा स्टेडियम में–राष्टï्रभक्ति से ओत-प्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की विभिन्न टुकडिय़ों द्वारा दी गई प्रस्तुति।
अम्बाला 24 दिसम्बर,2020: स्वर्णिम विजय दिवस समारोह खडग़ा स्टेडियम में आयोजित किया गया। वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की विजय के 50 साल होने के उपलक्ष्य में सेना की ओर से स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में विजय दिवस पर दिल्ली से चारों दिशाओं में विजय ज्योति निकली है जिनमें से उत्तर भारत की ओर निकली विजय ज्योति के अम्बाला छावनी में पहुंचने पर खडग़ा कौर द्वारा शानदार एवं भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यहां से यह विजय ज्योति को कार्यक्रम उपरांत पटियाला के लिए रवाना किया गया।
इस अवसर पर खडग़ा कौर कमांडर एस.एस. महल ने कहा कि स्वर्णिम विजय दिवस समारोह खडग़ा कौर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। सन 1971 के युद्ध में खडग़ा कौर ने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हुए बगंलादेश के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। उन्होंने कहा कि उस युद्ध में थल व वायुसेना के द्वारा जो तालमेल दिखाया गया वह आज भी हमारे लिए मिसाल है। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष खडग़ा कौर का स्वर्णिम वर्ष मनाया जायेगा।
उन्होंने 1971 के युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों के अदम्य साहस की सराहना करते हुए एवं वीर शहीद सैनिकों के बलिदान पर श्रद्धांजली अर्पित करते हुए कहा कि सेना के जवानों ने देश के संविधान एवं सेना के प्रति जो अपना कत्र्तव्य निभाया है वह काबिल तारीफ है। यह जीत हिंदुस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी जीत थी। अपनी अभिव्यक्ति में उन्होंने कहा कि 16 दिसम्बर 2020 को स्वर्णिम विजय मशाल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नेशनल वार मैमोरियल दिल्ली में प्रज्वलित किया गया था जोकि वहां से गाजियाबाद, मेरठ, देहरादून होते हुए अम्बाला पहुंची है। यहां से यह विजय ज्योति पटियाला पहुंचेगी। दिल्ली के नेशनल वॉर मैमोरियल से निकली चार विजय ज्योति देश की एकता के सूत्र को प्रदर्शित करते हुए देश के वीर शहीदों की शहादत को नमन कर रही हैं। उत्तर भारत की ओर निकली विजय ज्योति अम्बाला होते हुए देश के सबसे उंचे युद्ध स्थल सियाचीन तक जायेगी।
उन्होंने कहा कि साल 1971 भारत के इतिहास में यह स्वर्णिम वर्ष था जब भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान को आजाद करवाकर बंगलादेश का उदय करवाया, 13 दिनों तक चले युद्ध में भारतीय सेना ने पाक को खदेड़ दिया तथा पाकिस्तान के करीब 93000 सैनिकों ने आत्मसमपर्ण कर दिया था। यह ऐसा युद्ध था जिसमें इतिहास रचा गया और भूगोल बदल दिया गया।
इस अवसर पर सेवानिवृत लै0 जरनल रणजीत सिंह, पीवीएसएम, एसएमवीएम वशिष्ठ सेना मैडल ने कहा कि 1971 के युद्ध में भारतीय सेना को मिली जीत हिंदुस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी जीत थी जिससे एक नये देश बंगलादेश का जन्म हुआ। उन्होंने युद्ध में भाग लेने वाले सभी सैनिकों को शैल्यूट करते हुए व विभिन्न जंग में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए कहा कि भारतीय सेना बहादूरी व बलिदान के लिए जानी जाती है। उन्होंने कहा कि यह बडे ही गर्व की बात है कि पाकिस्तान पर इस एतिहासिक जीत को हासिल करने पर भारतीय सेना द्वारा स्वर्णिम विजय दिवस समारोह मनाया जा रहा है और विजय ज्योति को देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 1971 का भारत पाक युद्ध में पाकिस्तान सेना ने पूर्वी क्षेत्र को खोने के साथ ही लगभग 93000 सैनिकों ने समपर्ण किया था जोकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा समपर्ण था। दूनिया के युद्ध इतिहास ने सबसे कम समय के लिए हुए युद्ध में यह सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर दर्ज है जो हमारे लिए एक गौरवशाली और पराक्रमी युद्ध रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के शहीद सैनिक कैप्टन विक्रम बत्रा जिन्होंने तोलोलिंग की हाईट पर कब्जा पाने के बाद कहा था ये दिल मांगे मौर, मेजर सोमनाथ शर्मा जिनका 1947 की जंग में लास्ट मैसेज आया था दुशमन हमारे से 50 गज दूर है और बहुत ज्यादा संख्या में है लेकिन मैं अपनी पोजीशन से नहीं हटूंगा, मैं आखरी गोली व आखरी सैनिक तक लड़ता रहुंगा। सुबेदार जोगिन्द्र सिंह 1962 की लड़ाई, कंपनी क्वाटर मार्शल हवलदार अबदूल हमीद 1965, फलाईंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों और सैकेंड लै0 अरूण खेत्रपाल 1971, नायब सुबेदार बाना सिंह 1997 में, कै0 मनोज पांडे 1999 आदि सैनिकों की बहादूरी की मिसाल भारतीय सेना और देशवासियों को गौरवान्वित करती है। इन्हीं के शौर्य को देखकर हम कह सकते हैं कि हम देश के लिए एक ढाल हैं और दुशमन के लिए तलवार हैं।
इस अवसर पर अनिल चौधरी मेजर जनरल सेना मैडल जीओसी, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश सब एरिया, एयर कमांडोर डीएस जोशी एओसी अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन, उपायुक्त अशोक कुमार शर्मा, सेवानिवृत लै0 जरनल रणजीत सिंह, लै0 जनरल के.एस. डोगरा, ब्रिगेडियर एम.एस. तोमर, सुबेदार सेवा सिंह, कौर ऑफ इंजिनियर राम सिंह, खडग़ा कौर ऑफिसर, जेसीओ, जवान एवं सैन्य अधिकारी, भूतपूर्व सैनिक, वीर नारी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
बॉक्स:- स्वर्णिम विजय दिवस एवं सैनिकों की बहादूरी के सम्मान में वायुसेना के हवाई जहाजों द्वारा फलाईंग पास्ट भी समारोह स्थल के उपर से किया गया। समारोह में 1971 के युद्घ में अदम्य साहस दिखाने वाले वीर चक्र विजेता रिटायर्ड लै0 जरनल रणजीत सिंह, रिटायर्ड लै0 जनरल के.एस. डोगरा, सुबेदार सेवा सिंह, आर्नरी कै0 राम सिंह, अजीत कौर पत्नी स्वर्गीय मेहर सिंह सहित अन्य वीरांगनाओं को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया।
बॉक्स:- 1971 के युद्घ में भारत की विजय के 50 साल पूरा होने के उपलक्ष में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से लांच की गई विजय ज्योति मशाल 22 दिसम्बर को अम्बाला पंहुची थी। आज वीरवार को खडग़ा स्टेडियम में इस विषय को लेकर एक शानदार कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सेना की टुकडिय़ों द्वारा शौर्यपरक प्रदर्शन करते राष्टï्रीय एकता और अखंडता का संदेश दिया।
बॉक्स:- देश के लिये लड़ी गई लड़ाईयों में अपना और अपनी यूनिट के प्रदर्शन को लेकर मीडिया से बात करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल रणजीत सिंह, पीवीएसएम, एसएम रिटायर्ड इंजिनियर कोर ने कहा कि 1971 की लड़ाई में उनकी यूनिट की तैनाती सकरगढ़ क्षेत्र में थी। यहां पर भारतीय जवानो ने पाकिस्तान की सेनाओं को करारी हार दी और पीछे हटने पर मजबूर किया। उन्होंने बताया कि बटालियन एक परिवार की तरह होती है, सब मिलजुल कर रहते हैं। जब उनसे पूछा गया कि इस मौके पर आप क्या संदेश देना चाहते हैं तो उन्होंने कहा कि समाज और देश की तरक्की के लिये अनुशासन अति आवश्यक है। इसीलिये अनुशासन प्राथमिकता के आधार पर अपनाएं, इसी में हम सबकी तरक्की है।
बॉक्स:- इसी प्रकार लेफ्टिनेंट जनरल के.एस. डोगरा, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम रिटायर्ड एएडी ने बताया कि उस समय उनकी यूनिट की तैनाती जम्मू-कश्मीर के सांभा क्षेत्र में थी। दुश्मन की लोकेशन पकड़ कर उस पर कार्रवाई करना हमारी जिम्मेदारी थी और हमने इस कार्य को बड़े जज्बे के साथ निभाया। पाकिस्तान के कईं विमानो को हमने धराशाई किया। रडार कंट्रोल गनो के माध्यम से पाकिस्तान के कईं जहाज मार गिराए। तीन दिसम्बर और सात दिसम्बर को पाकिस्तान के विमान मार गिराए, जिसके कारण उनकी सेनाओं का हौंसला टूट गया और फिर इन क्षेत्रों में उन्होंने उडान नही भरी।
बॉक्स:- ब्रिगेडियर एम.एस. तोमर आर्मड कोर ने युद्घ क्षेत्र में सेना द्वारा किये गये साहसिक कार्यों के बारे में जानकारी दी तथा कहा कि विषम परिस्थितियों से जूझते हुए हमने पाकिस्तानी सेनाओं को पछाडऩे में कोई कसर नही छोड़ी। मौके पर उपस्थित सूबेदार सेवा सिंह, एस.सी. रिडायर्ड इंजिनियर कोर ने कहा कि फिरोजपुर जिरा क्षेत्र में उनकी यूनिट की तैनाती थी और हमारी यूनिट ने पूरी हिम्मत और हौंसले के साथ लड़ाई लड़ते हुए पाकिस्तानी सेना के छक्के छुडाए।
बॉक्स:- इसी प्रकार कैप्टन राम सिंह, एसएम रिटायर्ड राजपूत इन्फैंटरी बटालियन ने अपनी यूनिट की बहादुरी की बात बताते हुए कहा कि बंगलादेश में 1971 में हमारी यूनिट की तैनाती थी। देश की सेनाओं ने पाकिस्तान के कमांडर नियाजी को झुकने पर मजबूर किया। भारत की सेनाओं का पाकिस्तान की सेना में इतना डर था कि उन्होंने हमारी सेनाओं के आगे हथियार डाल दिये। वर्ष 1971 की शानदार विजय दुनिया के सबसे बड़ी विजय में से एक है। हमारी यूनिट ने नागेश्वरी और वीरभूम क्षेत्रों में भी साहसिक कार्य किया।
बॉक्स:- अम्बाला छावनी खडग़ा स्टेडियम में भव्य रंगारंग और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इससे पूर्व खडग़ा स्टेडियम में घुड़सवार दस्ते की अगुवाई में स्वर्णिम विजय मशाल को मेजर सुमित सिंह यहां लेकर पहुंचे और जीओसी खडग़ा कौर कमांडर एसएस महल को सौंपा। सेना के जवानों द्वारा शहीदों को सलामी शस्त्र के द्वारा श्रद्धांजली दी गई। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान व भारत माता की जय के साथ हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रम में पंजाब का भंगड़ा, महाराष्ट्र राज्य का लोकनृत्य, लेजियम डांस, देशभक्ति गीत, गोरखा रैजिमेंट के द्वारा खुखरी डांस तथा सैनिक बैंड द्वारा प्रस्तुति दी गई।
By Gautem Dev: Staff Correspondent.