तीन दिन के लिए रेल ट्रैक पर किसानों का धरना हो गया। लगभग साठ ट्रेनें बंद हैं। जनता की क्या हालत हो रही है, स्टेशनों पर इस तरह लावारिस लोग पड़े हैं, उनका कोई प्रबंध भी नहीं किया गया। आखिर जनता का क्या कसूर है? सरकार को कुछ दिन पहले से ही पता था कि किसानेां ने रेल ट्रैक रोकने की घोषणा की है। आखिर उसका हल क्यों नहीं ढूंढा गया। अगर सरकार ने किसानों की मांगें बाद ही मान ली लेनी हैं तो पहले ही उसका समाधान निकाल लेते। वैसे सभी जानते हैं कि रास्ता रोकना भारतीय दंड संहिता के अनुसार बहुत बड़ा अपराध है। शायद जो अपराध भीड़ कर ले वह अपराध नहीं रहता।
किसानों से भी यह सवाल है कि उनका झगड़ा तो केंद्र सरकार से है। जो लेना है भारत सरकार से ही लेना है, फिर देश की पंजाब की जनता को क्यों तंग किया जा रहा है। किसान भाई बहनों से अपील है कि वे अपने प्रांत और देशवासियों को कठिनाई में डालने से पहले हजारों बार सोचा करें कि जनता को तंग क्यों किया जा रहा है। याद रखना होगा पंजाब की अधिकतर जनता ने किसान आंदोलन का समर्थन भी किया और सहायता भी की। अब दंड भी आम लोगों को ही भोगना पड़ रहा है। क्या किसानों को इसकी कोई चिंता या दुख नहीं। भारत सरकार अपना कर्तव्य निभाए और किसान जनता के प्रति अपना कर्तव्य महसूस करें। लाखों लोग लावारिस की तरह स्टेशनेां पर बैठे हैं। सरकार ने भी उनकी देखरेख करने के लिए कोई प्रबंध नहीं किया। यह अत्यंत निंदा योग्य है।
लक्ष्मीकांता चावला