सजा हुआ फूलों से मंडप
और सजा घर द्वार,
आओ प्रिय शहनाई लेकर
थक गई पंथ निहार,
शुभ मुहूर्त की शुभ बेला में
तेरी हो जाऊंगी सजना,
नया नवेला बस जाएगा
फिर मेरा प्रिय संसार।
रोम-रोम पुलकित है मेरा
आशाएं लगी सँवरने,
मनभावन मेरा सवारियाँ
प्यार लगी तुझे करने,
तारों की बारात को लेकर
ज्यों दूल्हा बन चंदा निकला,
सफेद घोड़ों के रथ पर
घर आ जाओ मेरे बनने।
धर्म अर्थ काम मोक्ष के
खंभे ये चार सजे हैं,
जीवन के आयामों के
नए नए आकार बने हैं,
सप्तपदी पर खाकर कसमें
जीवन को नया बनाएं,
नवनिर्मित एहसासों के
अनगिनत पुष्प खिले हैं।
पवित्र बंधन में हम दोनों
बंध गए मंडप के नीचे,
सद्भाव समर्पण और समर्थन
जीवन बगिया को सींचे,
सात जन्म का यह गठबंधन
बन जाएगा प्रेम कहानी,
हम दोनों हो सबसे आगे
और सारी दुनिया पीछे।
कमल
जालंधर
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