भारत माँ के हम रखवाले वतन हमारी शान,
खून रगों में दौड़ रहा है देने को बलिदान।
सीमा पर गुस्ताखी का तुम्हें सबक सिखाएंगे
छलनी कर दें अरि सीना खबर लगे न कान।
फौलादी सीना अपना गोली असर नहीं करती
हम सब वो करके दम लेते मन में ले जो ठान
ऋषि मुनियों की ये धरती यहाँ रहताभाईचारा
प्रेम मोहब्बत त्याग तपस्या है अपनी पहचान
राजगुरु सुखदेव भगत सिंह वीरों का है देश
वीर शहीदों से ही सीखा कैसा होता बलिदान
कुर्बानी देने का जज्बा हर नस नस में दौड़रहा
कर्तव्य की खातिर डटे रणबांकुरे वीर जवान
कई बार छोड़ा है तुमको फिर भी तुम न माने,
अब चालाकी अगर करी पहुँचाएगें कब्रिस्तान
वीर शहीदों की धरती निश दिन शीशझुकाये
हमको प्राणों से अति प्यारा अपना हिंदुस्तान
कमल
जालंधर
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