पुष्प
खिल जाएगा ये चेहरा महके गुलाब सा
थोडा निकाल वक्त और तू मेरे पास आ।
तूँ देखता ही रह जाएगा मुझको करीब से
मिलता हूँ मैं किसी को बड़े ही नसीब से।
कांटों के संग भी मेरा कोई नहीं तकरार
दिल ही दिल मुझको करते हैं यही प्यार।
तुम भी किसी पुष्प से लगते नहीं कमतर,
टीका लगाना काला लग जाए ना नजर।
नजराना कर रहा हूं पुष्पों का बना हार,
खुशबू सा छिपा बैठा है इसमें मेरा प्यार।
तुम दो अगर इजाजत पहना दूं गले में
बस रहमत-ए-मुस्कान दे देना बदले में।
मेरी तरह से एक दिन खिल कर तो देख
खुशियों का राज़ पूछेंगे तेरे दोस्त अनेक।
कमल
जालंधर
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