
नारनौल न्यायिक परिसर में संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते सिविल जज लोकेश गुप्ता व उपस्थित श्रोता।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा. सरिता गुप्ता ने की अध्यक्षता
बी.एल. वर्मा द्वारा
नारनौल 26 नवम्बर 2018 : हरियाणा विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार सोमवार को संविधान दिवस पर स्थानीय न्यायिक परिसर में जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा. सरिता गुप्ता की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस मौके पर न्यायिक अधिकारियों व एडवोकेट को संबोधित करते हुए श्रीमती गुप्ता ने कहा कि हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था लेकिन हमने इसे 26 नवंबर 1949 को ही अंगीकृत कर लिया था। हम इस दिवस पर संविधान निर्माता डा. भीमराव अंबेडकर सहित सभी महानुभावों को याद करते हैं जिनकी बदौलत यह संविधान बना। पहले इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था जिसे प्रधानमंत्री के दिशा-निर्देश पर अब संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर मंच संचालन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विवेक यादव ने किया। अंत में सीएजेएम सूर्य चंद्रकांत ने आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस मौके पर एडीजे अजय तेवतिया, रूपम सिंह, विवेक सिंघल, अजय कुमार वर्मा, अनिल कुमार, मोनिका के अलावा सिविल जज अशोक कुमार, संचिता सिंह, अनिल कुमार व निधि बेनीवाल व बार एसोसिएशन के प्रधान महेंद्र यादव के अलावा अन्य न्यायिक अधिकारी व एडवोकेट मौजूद थे।

गजब की संवाद क्षमता से सिविल जज ने सभी को चकित किया:
संविधान दिवस के मौके पर सीनियर डिविजन के सिविल जज लोकेश गुप्ता ने संविधान पर हिंदी, अंग्रेजी व उर्दू में गजब की संवाद क्षमता से सभी को चकित कर दिया। उन्होंने हरिओम पंवार की कविता-मैं भारत का संविधान हूं, लाल किले से बोल रहा हूं- के एक-एक शब्द की महत्ता को समझाया।
श्री गुप्ता ने कहा कि हम अपने अधिकार प्राप्त करने की जंग व होड़ में अपने कर्तव्यों को भूल चुके हैं। अधिकार व कर्तव्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हम अपने कर्तव्यों को पाने के चक्कर में दूसरों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं। आज देश में कर्तव्य सबसे उपेक्षित भाग हो गया है। मौलिक कर्तव्यों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा।
उन्होंने कहा कि इस बारे में हम सबको समाज का एक अंग बनकर सोचने की जरूरत है। अगर हम केवल अधिकारों की बात करेंगे तो देश में अराजकता का माहौल पैदा होगा। इसलिए आज से ही अपने मौलिक कर्तव्यों को पूरा करने की शपथ लेकर जाएं। इस मौके पर मौलिक कर्तव्यों पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई गई।