स्वर्णिम छटा बिखेरे सुंदर माँ का दरबार,
प्रकाश और आनंद का पर्व दीवाली त्यौहार।
तिमिर धरा का दूर हुआ और फैला उजियारा
ज्ञान दीप जलाया तब मिटा अज्ञान विकार।
नयनाभिराम सर्वप्रिय कमल पुष्प सुशोभित
सुख समृद्धि की श्रीदेवी भरती सबके भंडार।
संग तेरे वीणावादिनी और गणपति महाराज,
विद्या धन से हो परिपूर्ण पाकर तेरा उपकार।
अलोकिक सुख पहुंचाता है तेरा अद्भुत दर्शन,
मनचाहा वर पा जाता है यह सारा संसार।
पल में भाग्य बदल जाते हैं तेरी आराधना से,
करुणा ममता दया प्रेम से जब हो जाएपुकार
नमन तुझे श्रद्धा की देवी धन वैभव से भरपूर,
कृपा दृष्टि अपनी से करना तू मेरा बेड़ा पार।
कमल
जालंधर
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